एटीएम कार्ड के ज़रिए ठगी
दोस्तों! कैशलेस इकोनॉमी के दौर में प्रायः सभी लोग एटीएम का प्रयोग करते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ग्राहकों के एटीएम कार्ड की क्लोनिंग के ज़रिए कैसे ये साइबर ठग लोगों को चूना लगा रहे हैं और साथ ही यह भी बताएंगे कि इस तरह की जालसाज़ी से कैसे बचा जाए। जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि आजकल एटीएम कार्ड क्लोनिंग के ज़रिए ये साइबर क्रिमिनल्स लोगों का अकाउंट साफ कर रहे हैं। ये अपराधी एटीएम कार्ड और डेबिट कार्ड की क्लोनिंग के लिए एटीएम मशीन में पहले से ही स्कीमर फिट कर देते हैं। जैसे ही हम कार्ड स्वाइप करते हैं, कार्ड की सारी डिटेल्स इस मशीन में कॉपी हो जाती है। इसके बाद ये ठग आपकी सारी डिटेल कंप्यूटर या अन्य तरीकों के जरिए खाली कार्ड में डाल कर कार्ड क्लोन तैयार कर लेते हैं। फिर ये अपराधी दूसरे एटीएम में जाकर उस कार्ड क्लोन के ज़रिए आपके अकाउंट से पैसे निकाल लेते हैं। इस प्रकार ये जालसाज़ लोगों को लाखों रुपए का चूना लगा चुके हैं। अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि ये क्रिमिनल्स इस अपराध को कैसे अंजाम देते हैं- 1) सबसे पहले ये एटीएम मशीनों में स्कीमर फिट कर देते हैं। पैड पर मैट के तरीके का एक उपकरण लगा देते हैं। 2) स्वाइप के स्थान पर एक कॉपी मशीन तथा पासवर्ड को देखने के लिए एक बटन जैसा कैमरा लगा दिया जाता है। इस प्रकार इस मशीन में जितने भी एटीएम स्वाइप होते हैं, उन सभी का डाटा इनके पास इकट्ठा हो जाता है और ये ठग एटीएम कार्ड को क्लोन के रूप में तब्दील कर वारदात को अंजाम देते हैं। इन घटनाओं को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने समय-समय पर बैंकों के साथ ही सामान्य जन के लिए भी हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। अब हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि एटीएम का इस्तेमाल करते समय आप क्या सावधानी रखें और यदि आपके साथ इस तरह का कोई फ्रॉड हो जाता है तो आपको क्या करना चाहिए- 1) सबसे पहले यदि आप एटीएम के ज़रिए पैसा निकालने गए हैं तो ध्यान दें कि कार्ड डालने वाली स्लॉट के पास लाइट जल रही है अथवा नहीं, यदि लाइट नहीं जल रही है तो अपना कार्ड न डालें। 2) पासवर्ड डालते समय कीपैड को अपने हाथों से ढक लें ताकि यदि कोई हिडेन कैमरा लगा हो तो वह आपका पासवर्ड न देख सके। 3) यदि आपको कीपैड जरा भी ढीला लगे तो आप उसका इस्तेमाल न करें। दोस्तों! यदि आपके साथ इस तरह का कोई स्कैम हो भी जाता है तो इसकी सूचना तुरंत कार्ड जारी करने वाले बैंक को दें तथा पुलिस में इसकी एफ. आई. आर. दर्ज़ कराएं। आरबीआई (रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया) के निर्देशानुसार, “यदि इस तरह के लेनदेन में किसी तीसरे पक्ष का हाथ है तो ग्राहक को इसके लिए कुछ भी खर्च नहीं करना है।” याद रखें कि यदि आप स्कैम के शिकार हुए हैं तो 3 दिन के भीतर इसकी जानकारी कार्ड जारी करने वाले बैंक को लिखित रूप से दर्ज कराएं। इस पर बैंक कार्रवाई करेगा और 90 दिनों के भीतर आपके अकाउंट में पैसा वापस आ जाएगा। परंतु जब तक बैंक की जाँच पूरी नहीं होती आप इस रकम को खर्च नहीं कर सकते। दोस्तों! सतर्कता और सावधानी ऐसे उपकरण हैं जिनका प्रयोग कर हम अपना और साथ ही पुलिस व प्रशासन को भी सहयोग प्रदान कर सकते हैं।